कांग्रेस ने गाइडलाइन दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी का फैसला वापस लेने दबाव बढ़ा दिया है, वहीं दावे किए कि सरकार का यह फैसला जनमत के खिलाफ है। बिना किसी सुझाव, बिना दावा-आपत्ति के अचानक दरें बढ़ा दी गई। संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने आरोप लगाए कि विरोध में लोगों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को कुचलने सरकार बर्बरता पर उतर गई है। महिलाओं और कारोबारियों को पीटा जा रहा है। लाठी डंडे और लात घूंसे चलाकर जेल भेजे जा रहे हैं। सत्ता के अहंकार में भाजपा नेता अब जमीन कारोबारियों को अपराधी के तौर पर प्रस्तुत कर रही है।
संचार प्रमुख के अनुसार किसानों, गरीब मध्यमवर्गीय परिवारों द्वारा भूखंड खरीदने वालों को भ्रष्टाचारी बताया जा रहा है। इस सरकार में क्या जमीन की खरीदी बिक्री करना अपराध हो गया है। रोजी, रोजगार, नौकरी तो यह सरकार दे नहीं पा रही है। अगर कोई व्यक्ति जमीन के कारोबार से अपना परिवार पाल रहा है, तो इस सरकार में वह अपराधी हो गया। राज्य में औसत रोजाना औसत रजिस्ट्री में 90 फीसदी गिरावट हो गई। बाजार भाव से कई गुना ज्यादा गाइडलाइन दर होने से फाइनेंस फ्रॉड, अधिक लोन लेकर डिफॉल्ट करने की आशंका भी बढ़ गई है। सरकार के तुगलकी फरमान से रजिस्ट्री खर्च 10 गुना तक बढ़ गया है। 50 हजार की रजिस्ट्री का खर्च अब 5 लाख से ज्यादा हो गया है। आम आदमी का जमीन मकान खरीदने का सपना टूटने लगा है। भ्रष्टाचार में हिस्सेदार भाजपा नेताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।